Monday, February 1, 2010

बेजुबानों की मौत का तमाशा देखते रहनुमा










































ये वाक्या है एक हिरन की मौत का..जिसे पहले तो कुत्तों ने दौड़ा दौड़ा कर मौत के करीब पहुंचा दिया उसके बाद जब उसे बचाने के लिए जंगल और जानवरों के रहनुमाओं से कहा गया तो वो अपनी रेंज का रोना रहते रहे..इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जंगल के रहनुमाओं का लचर रवैया कभी नही बदलने वाला.घटना 22 जनवरी 2010 की शाम को विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क के पास बसे गांव टेड़ा में घटी..जहां गांव में आ पहुंचे हिरन को कुत्तों ने मौत की हद तक दौड़ा दौड़ा कर काट डाला जिससे उसका पेट और पिछला हिस्सा बुरी तरह से लहुलुहान हो गया साथ ही उसके सींग भी टूट गए.टेड़ा की वन चौकी से चंद दूरी पर हुए हादसे की ख़बर चौकी के कर्मचारियों को नही हुई और मौके पर खड़े लोग तमाशबीन बने रहे.मामले की जानकरी जब मुझे मिली तो मैं फौरन मौके पर पहुंचा और घायल हिरन को देखा. उस वक्त तक हिरन जीवित लेकिन गंभीर हालत में था.
मैंने तुंरत ही वन विभाग के उच्च अधिकारियों को दी. लेकिन फौरी कार्यवाही के बदले अधिकारी दूसरे विभाग और दूसरे का क्षेत्र होने की बात कहकर टालते रहे.इस बीच अंधेरा गहराने लगा और डूबते सूरज के साथ ही उस हिरन की जिंदगी भी डूब गई जिसे शायद वक्त रहते बचाया जा सकता था. घटना की जानकारी देने के डेढ़ घंटे बाद वन विभाग की टीम घटनास्थल पर पहुंची वो भी बिना टॉर्च लाइटों के. टीम जब घटना स्थल पर पहुंची तो मृत चीतल मौके से गायब मिला और विभागीय टीम वाक्ये को बाघ की करतूत करार देकर अपने अपने रास्ते निकल ली.
अगर वक्त रहते कार्यवाही की जाती तो शायद हिरन को बचाया जा सकता था अगर वो नही भी बच पाता तो उसका पोस्टमॉर्टम करके उसे दफनाया जा सकता था.लेकिन विभाग की लचर कार्यशैली का फायदा जंगली मांस के शौकीन कुछ लोगों ने उठाया औऱ टीम के पहुंचने से पहले ही मृत हिरन को वहां से गायब कर दिया.
ऐसे हालात में आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि शिकारी क्यों नही वन विभाग के हत्थे चढ़ पाते हैं

कॉर्बेट नेशनल पार्क से,
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Death of Spotted Deer