Monday, November 23, 2009

आओ हूज़ूर तुमको कॉर्बेट में ले चलें

अब सितारों में ले जाने की बिसात तो हमारी है नही लेकिन कॉर्बेट ज़रूर हम आपको घुमा सकते हैं, भई ! कॉर्बेट हमारा घर जो है। यहीं तो हम खेले-कूदे और बड़े हुए हैं।
लेकिन एक सवाल हम आपसे ज़रूर पूछेंगे कॉर्बेट जाने से पहले कि......
आप वहां क्या देखना चाहेंगे ?
आपका जवाब हमें पता है वो पहले से।
आपका जवाब है बाघ यानि टाइगर, है न !
लेकिन हुज़ूर कॉर्बेट में टाइगर के अलावा और भी काफी कुछ है देखने, सुनने समझने और महसूस करने को, सिर्फ टाइगर ही आखिर क्यों आप लोगों के दिमाग में बसा रहता है. सिर्फ बाघ को ही देखा है तो चिड़ियाघर चले जाइये वहां जी भर कर देखिए बाघ को।
देखिए आप मेरी बातों का बुरा मत मानना मैं तो सिर्फ आपको इसलिए ये कह रहा हूं कि आप कॉर्बेट गए और टाइगर यानि वनराज आपको नही मिल पाए किसी वज़ह से तो आप को ख़ामाख्वाह टेंशन के शिकार हो जाएंगे और आपका मूड ख़राब हो जाएगा. है कि नही।
इसलिए जब आप कॉर्बेट घूमने का प्रोग्राम बनाएं तो टाइगर से मुलाक़ात की बात दिमाग से बिल्कुल निकाल दें। और ये सोचकर कॉर्बेट में क़दम रखें कि आप तो उस जगह को निहारने और फील करने आएं हैं जिसमें ज़नाब टाइगर रहते हैं। हिरनों की लगभग सारी बिरादरी से आप मिल ही लेंगे उसके अलावा जंगली हाथियों के बड़े बड़े परिवार भी आपको कॉर्बेट के ग्रासलैंड में मिल जाएंगे। साथ ही साथ कॉर्बेट की चिड़ियों से मिलना न भूलिएगा क्योंकि उनका कुनबा कॉर्बेट में सबसे बड़ा है यहां आपको पक्षियों की 585 प्रजातियां मिल जाएंगी. उन से रूबरू हो कर आपको जो आनंद मिलेगा उसका कहना ही क्या।
इसके बाद जब प्रकृति के नज़ारों को निहारते हुए आप जब कॉर्बेट के घने जंगलों या घास के मैदानों के बीच से गुजर रहे होंगे तो अचानक ही वनराज यानि टाइगर ख़ुद ही आपसे मुलाकात करने आपके सामने पहुंच जाएंगे।
भई आख़िर उनको भी तो कभी कभी लाइम लाइट में रहना अच्छा लगता है।
ये बात मैं आपको ऐसे ही नही बोल रहा हूं। यकीन मानिए मैं उस वक्त से कॉर्बेट में घूम रहा हूं जब यहां जाने के लिए न लंबी लंबी कतारें लगती थीं और न ही ज़ेब पर ज्यादा बोझ पड़ा करता था।
और तो और कॉर्बेट में एक वक्त ऐसा भी था जब आप साइकिल या फिर स्कूटर से भी जंगल घूमने जा सकते थे।
मैं भी कई बार गया सिर्फ यही सोचकर कर कि टाइगर ही देखूंगा लेकिन टाइगर ने कभी मुलाकात का मौका नही दिया। करीब 10 साल बाद कॉर्बेट गया अपने कुछ विदेशी महमानों के साथ और मैंने उन्हें कॉर्बेट के एंट्री गेट पर ही कह दिया कि भई अगर टाइगर के दर्शन न हों तो मुझसे कुछ मत कहना सीधी बात नो बकवास। वो मेरी बात को समझ गए और फिर हमारा सफ़र शुरू हुआ।
अगले दिन सुबह के लगभग 6:30 बजे के करीब हमें सबसे पहले टाइगर के दर्शन हुए थोड़ा दूर था लेकिन कैमरे के लैंस की पकड़ से नही भाग सका, उसके बाद काफी देऱ तक जंगल में घूमते रहे सोचा टाइगर तो दिख ही गया है. उसके बाद जो हुआ उस पर तो ख़ुद हमें यकीन नही होता. धीरे धीरे घूमते हुए हम रामगंगा नदी के किनारे पहुंच गए वहां मेरे विदेशी मेहमान को वॉटर बर्ड्स की फोटो लेनी थी. तभी दूसरी तरफ के जंगल से बंदरों की घुड़की सुनाई दी. मैने अपनी दूरबीन से उस पेड़ पर निशाना साधा तो हक्का बक्का रह गया वो सारे बंदर पेड़ के नीचे की तरफ झांक रहे थे और घुड़की दे रहे थे, थोड़ी देर तक हम दम साधे यानि सांस रोके देखते रहे पल पल काटना मुश्किल था. तभी झाड़ियां हिलीं और हमसे 300 मीटर की दूरी से एक नर बाघ ने बाहर निकला शुरू किया जो शायद बंदरों के शोर को और नही सुनना चाहता उसके पीछे से बेहद ख़ूबसूरत, हसीन, और बेहद कम उम्र की बाघिन यानि Tigress ने कुछ शरमाते कुछ झिझक के साथ अपने कदम बढ़ाए. और मेरे विदेशी दोस्त के कैमरे के शटर की क्लिक क्लिक की अवाज़ गूंजने लगी, ये नज़ारा देखकर मैं ख़ुद पर यकीन नही कर पा रहा था. मेरी आंखे अजीब से अहसास के चलते भीग रहीं थी। उसके बाद ये जोड़ा हमसे दूर होता गया और करीब 600 मीटर आगे की तरफ की लंबी घास की ओर चलता रहा राजा रानी की बेहद रौबीली चाल को देख कर लगा जिसने भी इन्हे राजा रानी का ख़िताब दिया है सही दिया है. लेकिन बात यहीं ख़त्म नही होती जैसे ही ये जोड़ा वहां पहुंचा. झाड़ियों से एक और छोटा नर बाघ बाहर आया और उनके लिए उस ऐशगाह को छोड़ कर नदी की तरह मुड़ गया. हम सिर्फ देख रहे थे प्रकृति और कॉर्बेट की इस अनोखी लीला को. इस दौरान हमारी इस बुलंद किस्मत के दो और गवाह भी थे जिन्हें सिर्फ कुछ मिनट ही मिल सके इस अनुपम नज़ारे को देखने के. तीनो बाघों के आंखों से ओझल होने के साथ ही हम वापस मुढ़े और वापस ढिकाला की तरफ चल पड़े तभी गैठिया रौ का पुल पार करते ही सड़क किनारे एक जिप्सी खड़ी दिखाई दी. इशारों इशारों में पता चला कि वहां भी एक बाघ बैठा है.जब स्पॉट पर पहुंचे तो हम पांचों के मुंह से सिर्फ एक ही अवाज़ निकली ओह माई गॉड ! ये क्या हो रहा है. सिर्फ 200 मीटर की दूरी पर पेड़ के नीचे एक युवा नर बाघ आराम फरमा रहा था वो भी दुनिया से बेखबर मानों उसे किसी की परवाह ही नही हो. हम करीब 45 मिनट तक उसे चुपचाप निहारते रहे. इस दौरान उसने हमें ऐसे पोज़ दिए जैसे मानों उसने हमें अपनी फोटो खिचानें के लिए वहां बुलाया हो कि "अरे भई आना जरा मेरी फोटो लेने के लिए". ढिकाला पहुंचते ही हमारी खुशी लोगों के लिए बेहद अचरज़ का सब्जेक्ट बन गई हर कोई हमारे इस एक्सपीरियंस पर हैरान था।
इस ट्रिप में मेरे और मेरे विदेशी दोस्तों के अलावा गाइड पप्पू उप्रेती भी शामिल थे।

बस अपने की बोर्ड को अब मैं यहीं विराम देता हूं
धन्यवाद

कॉर्बेट से
Wild Nj

Thursday, November 19, 2009

कॉर्बेट नेशनल पार्क से - Wild Nj

मैं ये ब्लॉग शुरू कर रहा हूं उन लोगों के लिए जिन्हें वास्तव में चिंता है अपने जंगलों की, जंगलों में रहने वाले जानवरों की और तेजी से बिगड़ते पर्यावरण संतुलन की. नेचर को पास से जानने वाले वाले लोग जानते हैं कि आज उनके आस पास का माहौल कितनी तेजी से बदल रहा है. ख़ासकर हम पहाड़ी लोगों के लिए तो ये काफी चिंता की बात है..जहां कभी ऊनी कपड़े पहनने और रजाईयां लेकर सोने का दौर चला करता था, वहीं पहाड़ों में आज लोग आपको टी शर्ट पहने और कूलर की हवा ख़ाते दिख जाएंगे..जहां कभी ठंड और बर्फबारी का एक लंबा दौर चला करता था..वहां बर्फ तो छोड़िए ठंड भी सुबह और शाम तक ही सिमट कर ही रह गई है..सूर्य देव जो सर्दियों में बादलों और पहाड़ों के पीछे आराम किया करते थे..वो सुबह के 7बजे के बाद ऐसे चमकते हैं जैसे मानो महीना नवम्बर या दिसम्बर का न होकर अप्रैल मई का हो. जंगल के जानवर जंगलों से गायब हो कर या तो लोगों के ड्राइंग रूम की शोभा बढ़ा रहे हैं या फिर उनके शरीर और उनकी डाइनिंग टेबल की..लोगों के बहकाकर अपनी दवाएं बनाने वाली कंपनियां भी कम होते जंगली जानवरों और पक्षियों के लिए भी कम जिम्मेदार नही हैं।
चलिए अब उपदेश तो बहुत हो गए कुछ काम की बात हो जाए.....
तो मेरे प्यारे और सम्मानित प्रकृति और वन्यजीव प्रेमियों ये ब्लॉग एक शुरूआत है आम खबरिया चैनलों या अख़बारों जिन्हें हम मीडिया के नाम से जानते हैं की रिपोर्टिंग से हटकर जंगलों, जानवरों और उनकी दुनिया की ख़बरों को जानने, समझने और अपने विचार रखने की जिससे हम वो कर सकें जो उनके नाम पर अपनी चांदी काटने वाले सिर्फ कहते हैं करते नही.
इस ब्लॉग में आप प्रकृति से रिलेटेड किसी भी तरह की जानकारी, सुझाव या फिर अपने लिख़े लेख भेज सकते हैं..और दुनिया के फेमस और प्रीमियर नेशनल पार्क जिम कॉर्वेट में क्या चल रहा है उसकी जानकारी मैं आप तक पहुंचाने की हर संभव कोशिश करता रहूंगा वो भी पूरी ईमानदारी के साथ.
सबसे पहले मैं आपको दे रहा हूं जानकारी महान प्रकृतिविद्, लेखक और आदमख़ोर बाघों के शिकारी
Edward James “ Jim” Corbett की.

धन्यवाद।
कॉर्बेट से
Wild Nj